aaina
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जाने क्या क्या गलत हुआ है यहाँ ,
किस कदर बात क्या सही है यहाँ
यहाँ भी खून हो गया है कोई ,
उसी की लाश सड़ रही है यहाँ
उनके खज़र से टपकता है लहू ,
खून से भीग गया है ये मकाँ ,
किन अंधेरों में गुम हुए हैं लोग ,
यहाँ वहां से चले और कहाँ
अब हवा भी सिमट कर चलती है ,
बबूल फिर से हो गए है जवाँ
बोलो कुछ बोलते नहीं हो तुम ,
किस वज़ह से रुकी हुई है जुबां
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