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ताजमहल का गीत

aaina
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हुस्न के कदमो में रखा *ताज* अपना ,
हम उसे शहंशाह कहते है ,
संगेमरमर का बदन
रूह कोई पाकीज़ा ,
उसके आँचल के तले ,
एक ग़ज़ल कहते है ,
सारे आशिक करें यहाँ सजदा
हम दीवाने शहर में रहते है
——–
ये शहर कब्र का मजारों का ,
हर नज़र के लिए नजारों का ,
इक मुमताज यहाँ सोई है
प्यार पैगाम है इशारों का ,
जैसे दुल्हिन सजी सी बैठी है ,
फिजां में गीत है कहारों का ,
ये नदी घाट-घाट बहती है ,
फिर भी चर्चा है इन किनारों का ,
इक नज़ीर और सूर बसते है
देखो मेला मिला बहारों का ,
ये शहर कब्र का मजारो का ,
हर नज़र के लिए नजारों का

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