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सुबह का भूला हुआ !

aaina
aaina
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सुबह का भूला हुआ घर आया ,
एक वादा तेरा नज़र आया

लोग पीते है लडखडाते है ,
अपनी आँखों में न असर आया

जब भी चर्चा चली मुहब्बत की ,
सच कहूँ तेरा ही ज़िकर आया

हम तो भटके है घने जंगल में
हाथ अपने नहीं तेरा साया

अश्क तो अपने पी लिए हमने ,
जाने क्यों फिर गला ये भर आया ,

सुबह का भूला हुआ घर आया ,
एक वादा तेरा नज़र आया

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