aaina
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तेरी यादों के दीप जलते है
जब अँधेरे में हाथ मलते है
अश्क पलकों पे मेरे मेहमान है
शाम होती है तो निकलते है
तेरी यादों के दीप जलते है
तू किसी शमा सी मचलती है
ख़्वाब दर ख़्वाब हम पिघलते है
तेरी यादों के दीप जलते है
इस कदर हो गए हैं हम तनहा
अपने साए के साथ चलते है
तेरी यादों के दीप जलते है
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