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आजकल साए भी गुमसुम हो गए /काव्य ब्लॉग

aaina
aaina
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आजकल साए भी गुमसुम हो गए
इस सड़क से आदमी अब खो गए

कुछ सपन थे आँख में उगते हुए
अपने शानों पे जो थक के सो गये

बहके नदिया आ गयी होठो तलक
जब किनारे और प्यासे हो गए

birju/9410203171

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