aaina
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अनुभूतियाँ और नैतिकता
कल रात इमरजेंसी वार्ड में
बिना दवा के दम तोड़ गयी
२
भविष्य
देश-भविष्य-देश
गलत झूठ -अफवाहें
बेचारी गुज़र गयी
३
पीड़ी
दिमाग नासूर,आकान्छाएं
ढाबे पर परदेशियों के झूठे
बर्तन धो रही हैं
४
धुप आँखें मींचे
रात के आगोश में
रात के खुनी पंजे
रौशनी की गर्दन में
पहली किरण का लहुलुहान चेहरा
सूरज ने पोंछ दिया
सूरज समर्थ है
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