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पहली किरण का लहुलुहान चेहरा

aaina
aaina
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अनुभूतियाँ और नैतिकता
कल रात इमरजेंसी वार्ड में
बिना दवा के दम तोड़ गयी

भविष्य
देश-भविष्य-देश
गलत झूठ -अफवाहें
बेचारी गुज़र गयी

पीड़ी
दिमाग नासूर,आकान्छाएं
ढाबे पर परदेशियों के झूठे
बर्तन धो रही हैं

धुप आँखें मींचे
रात के आगोश में
रात के खुनी पंजे
रौशनी की गर्दन में
पहली किरण का लहुलुहान चेहरा
सूरज ने पोंछ दिया
सूरज समर्थ है

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