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बाल श्रमिक विरोध दिवस पर अखबारों में बड़े -बड़े सरकारी विज्ञापन छपे ,sampadkiya लिखे गए .बड़ा अच्छा लगा . में आज दफ्तर आया तो ठाकुर की चाय के लिए चपरासी को कहा . चपरासी बोला साब दूकान पर ही जाना पड़ेगा छोटू नहीं आया है . मैंने पूछा क्यों . क्या बीमार है . चपरासी बोला नहीं ठाकुर ने निकाल दिया है .
में ठाकुर की दूकान पर गया उससे पूछा क्या बात हुई भाई ? ठाकुर बोला क्या करे साब दीवानजी आये थे बोले साले बच्चो से काम karaata है ,पता नहीं इस अपराध में तुझे बंद कर सकता हु …सो साब लल्लू को निकाल दिया .
में बिना चाय पिए ही चला आया ..मन कुछ खराब हो गया .लल्लू ने बताया था उसके पिता रिक्शा चलते थे ,टीबी हो गयी और उनका nidhan हो गया , ab लल्लू से chhoti do bahine और maa है ..ma choka- bartan karke 700-800 kama leti है और लल्लू को 600 milte है तो dono time की roti chal jaati है ,,,ab लल्लू क्या करेगा ? में दिन भर सोचता रहा ….
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