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आगरे में पागलखाना भी है और ताजमहल भी .नगरवासी पागल कर देने वाली आदिम
समस्याओं से जूझने के आदि है .देश में कही भी जाएं आपका पता मालूम होते ही लोगो के
मुंह से बेसाख्ता निकल पड़ता है ..ओहो ,आगरे के हो जैसे आगरे के वाशिंदों को खुदा ने
फुरसत में बनाया है .यहाँ की आड़ी तिरछी खड़ी बोली लोगो को असमंजस और बरबस
ठहाके लगाने पर मजबूर करती है .बृजभाषा में पशिचमी किनारों से बहते आते शब्द और
मुगलाई अंदाज़ का घालमेल कर बनी आगरे की भाषा की अपनी अलग पहचान है..अबे-तबे
से शुरू होकर लोकप्रचलित गाली गलोज आगरे में भाईचारे और अपनत्व का दर्शन कराती
है .आगरे की मशहूर चीजो में पैठा दालमोंठ और हर साइज़ का जूता तो प्रसिद्द है ही .साथ ही
सडको के गड्डे-गंदगी और मछर भी पूरे विश्व में आगरे की पहचान जिंदा रखे हुए है धरोहर
सिटी आगरे की इन धरोहरों को प्रशासन पूरी इमानदारी से सरंछित करता रहा है .
खासकर पुराने आगरे के बाज़ार और तंग भूल भुलैय्यो जैसे गलिओं में आगरे की संस्कृत
फन्फूल कर जवान हुई है और बीते २५-३० सालो में संहाया प्लेस ,न्यू आगरा ,सिकंदरा
जैसे कई नगरिओं में विकसित भव्य aattalikaao की चमक दमक में युवा संस्कृति
इतराती हुई दीखती है . .पश्चिमी सभ्यता में रचे बसे युवा आँखे सेंकने की जुगाड़ में सडको
पर जहां तहां तफरी करते दिखाई पड़ सकते है .नगर में पीने के पानी की किल्लत का भले
ही रोना हो ,शासन ने चोराहे चोराहे पर शराब के प्यालो का इंतजाम किया है बीअर के
लाइन्सेने मिलते ही पान बीडी की दुकानों पर प्यास बुझाने की व्यवस्था की जा रही है .
गांधी बाबा के समर्थक और नाक भों सिकोड़ने वाले लोगो की तसल्ली के लिए मद्य निषेध
विभाग के पोस्टर भी जगह जगह लगा दिए गए है ..*.बाप शराब पीएगा बच्चे भीख
मांगेगे*.आगरा नगर विकसित नगरो की श्रेणी में आ गया है इसे स्वर्ग बनाने के लिए
शासन और सरकारी विभागों द्वारा करोडो रुपे की योजनाएं बनाई गयी है निश्चित ही हम
आगरा वाले स्वर्गवासी होने जा रहे है .
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