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सुन ससुर आम !

aaina
aaina
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एक   ख़त हवाओं के नाम
हम है कुशल और तुझको सलाम


मौसम पे बोराए है तरह तरह के बोर
सुन ससुर आम -तुझको सलाम


खंज़र पे धार क्यों रख रहे हो यार
रो रहा है अब वतन खुदा -नानक -राम

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