एक ख़त हवाओं के नाम हम है कुशल और तुझको सलाम
मौसम पे बोराए है तरह तरह के बोर सुन ससुर आम -तुझको सलाम
खंज़र पे धार क्यों रख रहे हो यार रो रहा है अब वतन खुदा -नानक -राम
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