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ओसामा मारा गया . अमेरिका के रास्ट्रपति ओबामा इस उपलब्धि को आतंक के विरुद्ध जंग की जीत
बता रहे है और अमेरिकी जनता ९/११ के प्रतिशोध पर जश्न मना रही है . निसंदेह आतंक के पर्याय
लादेन के मारे जाने से विश्व भर में फैले आतंकी संगठनो के मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा होगा
,लेकिन यह कहना जल्दबाजी होगी की भारत और विश्व में आतंक मचाये आतंकवादियों की
गतिविधिया ख़त्म हो जाहेंगी और नागरिक चैन की सांस ले सकेंगे .
यह पड़ताल किया जाना महत्वपूर्ण है की आतंक के बीज किस प्रस्ठभूमि में पनप रहे है और इनको
खाद पानी देकर कौन देश या संगठन जवान कर रहा है इनके मंसूबे क्या है ? किस धर्म -मज़हब के
सिद्धांतो के तहत इंसानियत का खून बहा रहे है . सभी धर्म जिओ और जीने दो के दर्शन से ओतप्रेत है
और व्यर्थ की हिंसा का किसी धर्म में स्थान नहीं है .
विश्व बिरादरी के समछ आत्मचिंतन का समय है की प्रत्येक देश इन अराजक और हिंसक
गतिविधियों में लिप्त रक्त पिशाचों को हतोत्साहित करे और इस्वर प्रदत्त सुन्दर दुनिया की खुशहाली के
लिए जुट जाए क्योंकि यही मानवीय धर्म है . किसी भी खेत की खरपतवार फसल को निरंतर हानि
पहुंचाती है जिसे समय समय पर निराई करके किसान उखाड़ फेंकता रहता है .इसीलिए
आतंकवादियों को अन्य सामाजिक अपराधियों से प्रथक मानते हुए विश्व स्तर पर संयुक्त क़ानून
बनाने का समय आ गया है ताकि त्वरित निर्णय और कठोरतम सजा के प्राविधान से शांतिप्रिय
समाज की सुरछा संभव हो सके .
अपने देश के सन्दर्भ में देखे तो संसद पर हमले के आरोपी और मुबई हमलो का एकमात्र जिंदा
अपराधी कसाब को अभी तक मिले जीवनदान से आतंकियो के होसलो को बल मिलता है . अपने देश
में भी आतंकियो और अन्य सामजिक अपराधियो से प्रथक करने के क़ानून की आवश्यकता है .
अफजल गुरु और दर्जनों नागरिको की हत्या के कसूरवार कसाब को फ़ासी की सजा के बाद भी जिंदा
रखे जाने से अपने देश के नागरिको में असंतोष है . कही नेता कंधार जैसी पुनरावृत्ति की प्रतिच्छा में
तो नहीं . फिर इन आतताइयो के प्रति सदाशयता किन उद्देशो के तहत बरती जा रही है . जनता में
सुगबुगाहट स्वाभाविक है की ये वोट बेंक की राजनीति और तुस्टीकरण का खेल है . यदि ऐसा है तो
अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है ही कहा जाएगा .
अमेरिका ने अपने देश के नागरिको की हत्या के आरोपी को दुसरे देश /पाकिस्तान/ में घुसकर उसकी
परवाह और सहायता के बिना लादेन का शिकार किया …और जंगली जानवर की तरह मारकर समुद्र
में फेंक दिया .यद्यपि जगविदित है की लादेन का जिन्न बोतल से निकालने के लिए भी अमेरिका ही
जिम्मेदार है और समूचे विश्व में मानव विनाश के हथियारों का सबसे बड़ा सौदागर भी . इसलिए
आतंकी वारदातों के लिए अमेरिका भी बराबर का साझीदार और दोषी है .
जो मानवीय समाज के लिए घातक है उन पागल कुत्तो और जंगली जानवरों के साथ यही व्यवहार
उचित है . इसके निहितार्थ अमेरिका को भी समझ लेना चाहिए और अपनी नीति में परिवर्तन कर ही
लेना बुद्धिमानी है . यह होश में आने का समय है .
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