- 154 Posts
- 173 Comments
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जी ने रहस्योद्घाटन किया है की कांग्रेस एक सर्कस है ..””और सर्कस में
रिंग मास्टर के कोड़े पे तरह तरह नाच के दिखाना यहाँ पड़ता है ,हीरो से जोकर बन जाना
पड़ता है . इसीलिए अधिकाँश नेतागण जोकर की तरह व्यवहार कर रहे है . किन्तु नेताजी
ने क्या सोचकर यह बयान दिया …..की सरदार बहुत खुश होगा .
दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री श्री राव बाबरी विध्वंस के दोषी है ” नेताजी द्वारा दिए गए
इस बयान पर भी विपछ और देशवासी सिर खुजा रहे है और पोथियाँ उलट पलट कर इसका
अभिप्राय ,तात्पर्य और निहितार्थ समझने की कोशिश में बोरा गए है है .आखिर किस
उद्देश्य और योजना के तहत नेता जी के मुखारबिंद से यह सुर्खिया उगली गयी है . कही
डूबते जहाज में से सबसे पहले चूहे भाग जाते है की तर्ज पर नेता जी पतली गली से
निकलने की फिराक में तो नहीं है .
जहाँ तक सर्कस की बात है तो हमारे राजकपूर साहब दो दशक पूर्व ही दो इंटरवल
वाली फिल्म “मेरा नाम जोकर” में यह आध्यात्मिक सन्देश दे चुके है . अब उनकी फिल्म
का शीर्षक सन्देश कांग्रेसी नेता अपने नाम से प्रसारित कर रहे है ….बहुत नाइंसाफी है ..ये
तो कापीराईट कानूनों का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन है .
दरअसल इसे कहते है दलगत लोकतंत्र की एलानिया अभिव्यक्ति . अपनी ही
पार्टी की नीतियों और कारगुजारियो के विरुद्ध कोई भी नेता कभी भी ,कही भी,किसी भी
स्तर पर कुछ भी बकबका सकता है अपनी ही पार्टी के झंडे का घुटन्ना बना सकता है . पार्टी
का कोई भी दिग्गी”ज नेता संविधान प्रदत्त पूर्ण स्वतंत्रता के मूलभूत अधिकार का हैण्ड
पम्प उखाड़कर धड़ल्ले से प्रयोग कर रहा है इससे पहिले कोई बखेड़ा हो दूसरा पार्टी प्रवक्ता
उद्घोषणा कर देता है की अमुक नेता का बयान उनके व्यक्तिगत विचार है पार्टी इससे ना
सहमत है ना ही असहमत . क्या बात है क्या बात है क्या बात है …भाई वाह ..
.
मदारी के खेल चालू आहे ..कठपुतलिया ठुमक ठुमक कर नैन और कमर मटका रही है और
परदे के पीछे मदारी दर्शको की सीटियो और तालियों से प्रेरित होकर नए नए खेल दिखा
रहा है …” हम सब रंगमंच की कठ पुतलिया है ,जिनकी डोर हाई कमान के हाथ है, दे .. ताली
…हा…..हा…..हा……
Read Comments