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चुप रहो कुछ बोलो मत ,खिड़की दरवाजे खोलो मत …सरकार का किसी भी स्तर पर विरोध करने वालो सावधान हो जाओ …हमारे निर्वाचित जन प्रतिनिधि ,जो चुनाव के वक़्त दोनों हाथ जोड़े द्वार द्वार भटक रहे थे ,गुहार लगा रहे थे ..निर्वाचित होते ही गुर्राने लगे है ,डराने लगे है ..कैसे मंजर सामने आने लगे है ,गाते गाते लोग चिल्लाने लगे है ..बोलीवुड के लाजवाब अभिनेता ओमपुरी और सिविल सोसाइटी की सदस्य किरण बेदी ने रामलीला मैदान के मंच से आखिर ऐसा क्या कह दिया की संसद में कुछ माननीय सदस्य तिलमिला गए है और हमारे रहनुमा उनको हर हालत में जेल की हवा खिलाने पर आमादा हो गए है .
काले धन पर वृहत आन्दोलन करने वाले रामदेव के तोर तरीके भी सरकार को नागवार गुज़रे और अचानक जांच एजेंसियों ने उनके अर्श और फर्श की खुदाई जांच शुरू कर दी ,जबकि इस आन्दोलन से पूर्व वे सबके पूज्य थे और उनके इशारों पर यही राजनीति के खिलाड़ी अनुलोम-विलोम कर रहे थे . अभी समाचार आया है की केजरीवाल के खिलाफ भी मामलो की पड़ताल शुरू कर दी गयी है ..स्वतंत्र भारत में ये कुत्सित एवं पूर्वाग्रह से ग्रस्त घटनाएं किसी भी भारतीय का दिल दुखाती है ..क्या देश की जनता को सरकार से हिसाब किताब मांगने का हक नहीं है ,महंगाई और भ्रष्टाचार से त्रस्त जनता को खुलेआम रोने-चिल्लाने पर मनाही है . क्या इस जनतंत्र में इस मुहावरे का प्रचलन शोभनीय है की ** जबर मारे और रोने ना दे **
वो करम उंगलियों पर गिनते है
ज़ुल्म का जिनके कुछ हिसाब नहीं
राम देव ,फिर अन्ना हजारे के एतिहासिक आंदोलनों से निपटने की प्रक्रिया में सरकार के आचरण से निरंतर उसकी छवि प्रभावित हो रही है .इससे इस आशंका को बल मिलता है की कांग्रेस की अध्यछ्या की अनुपस्थिति का फाइदा उठाकर सरकार में छिपे कुछ विभीषण सोने की लंका का साम्राज्य नस्ट करने का षड्यंत्र कर रहे है . यदि सचमुच ऐसा ही है तो सरकार के निष्ठावान सदस्यों को सावधान हो जाना चाहिए और भीतर घात करने वाले चेहरों की पहचान समय रहते कर लेनी चाहिए ..इसी में बुद्धिमानी है .
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