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अभी लड़ाई जारी है !

aaina
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विगत ४ दशको से जो लोकपाल विधेयक संसद के गलियारे में मूर्त रूप लेने के लिए भटक रहा था अंतत: लोकसभा से पारित हो गया है पछ-विपछ के विचार -मंथन के उपरान्त देर सबेर भ्रस्टाचार और कालेधन से त्रस्त जनता की अपेछाओं के अनुरूप सशक्त लोकपाल बिल पारित हो ही जाएगा . इन अर्थों में रालेगड़ सिद्धि के संत अन्ना हजारे का आन्दोलन आश्चर्य जनक रूप से सफल हो गया है .. यह भ्रान्ति निर्मूल सिद्ध हुई है की अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता .
वर्ष २०११ अन्ना आन्दोलन के लिए इतिहास में दर्ज हो गया है . एक अकेले गैर राजनैतिक समाजसेवी के इस नितांत अहिंसक संघर्ष का स्वाभाविक रूप से समूचे विश्व ने संज्ञान लिया है .
किन्तु यह प्रश्न प्रासंगिक है की क्या अन्ना हजारे की भूमिका समाप्त हो गयी है ..संभवत नहीं ,क्योंकि अन्ना हजारे ने भविष्य के आन्दोलन के लिए अपना एजेंडा निश्चित कर लिया है ,जैसा की उन्होंने अपने आन्दोलन में मंच से घोषणा भी की है . और देश की दशा सुधारने का संकल्प व्यक्त किया है . उनकी प्राथमिकताओं में चुनाव सुधार जैसे ज्वलंत मुद्दे है तो १०० ग्रामों को गोद लेकर उनके सर्वांग विकास कर केंद्र और राज्य सरकारों को प्रेरित करने का उद्देश्य भी घोषित कर दिया है .
सुखद है की वर्ष १९७७ में स्व० जय प्रकाश नारायण की समग्र क्रान्ति के उपरान्त अन्ना हजारे ने देश के युवाओं के अंतर्मन को झकझोरने का कार्य किया है वही राष्ट्र प्रेम और नए भारत के निर्माण हेतु उन्हें सक्रिय भूमिका के हेतु प्रेरित किया है .हाल में विभिन्न प्रदेशों में लोकायुक्त की सक्रिय भूमिका अन्ना आन्दोलन की प्रभावी परिणिति ही कही जायेगी .जिस कारण उत्तर प्रदेश में ही दर्जनों मंत्रिओं को बर्खास्त किया गया है .
सच स्व० दुष्यंत की पंक्तिया पहली बार मुखर हुई है ..
कौन कहता है की आकाश में सूराख नहीं हो सकता ,एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो .

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