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मतदाता की मुट्ठी बंद !

aaina
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पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव परिणाम आगामी २०१४ के आम चुनावों का शिलालेख लिखेंगे, इस तथ्य और संभावना पर विचार किया जा रहा है . अभी इन राज्यों में हो रहे चुनावों के अंतिम प्रहर तक मतदान प्रतिशत विगत चुनावों के सापेछ १५-२० प्रतिशत बड़ा है ,जो अभूतपूर्व है और संमृद्ध हो रहे लोकतंत्र का परिचायक है . इस अधिक मतदान ने मीडिया के एक्जिट पोल गडित को गड़बड़ा दिया है तो विभिन्न राजनीतिक दलों के माधे पर भी बल पड़ गए है . इस बार मतदान में नागरिकों का अति उत्साह अन्ना हजारे और रामदेव के आन्दोलन की परिणिति है अथवा राहुल,अखिलेश और जयंत चोधरी जैसे युवा नेत्रित्व ने देश के सुप्त प्राय युवा नागरिको को झकझोरने का काम किया है ,अभी कुछ कहना जल्दबाजी ही कहा जाएगा . कुछ राज पंडित इसे पूर्व राज्य सरकारों के कामकाज के विरुद्ध “जन-विद्रोह” की संज्ञा दे रहे है .
नागरिको ने मताधिकार का प्रयोग कर अपनी मुट्ठी बंद कर ली है ,जो होली में आग लगने से पूर्व ही खुलेगी और विजयी पार्टिया जोर शोर से होली खेलेंगी वही पराजित दल शोकमग्न होंगे . जहा तक नागरिको का प्रश्न है वे विजयी दलों के घोषणा पत्रों में किये गए कसम-वादों में प्रदेश के विकास और अपनी संमृद्धि के स्वप्न देखेंगे …जो शायद कभी साकार हो ..किसी एक सुहानी सुबह की प्रतीछा …..
किन्तु उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में जाति -धर्म की संकीर्ण राजनीति के तिलिस्म से यथास्थिति का टूटना दुष्कर प्रतीत हो रहा है . एक और रामदेव सरीखे अबूझ दार्शनिक प्रदेश में रास्ट्रपति शाशन की भविष्यवाणी कर रहे है तो दूसरी और कई राज पंडित कांग्रेस-रालोद समर्थित सपा सरकार के गठन की सम्भावना पर मुहर लगा रहे है . इस गठजोड़ पर नागरिको में कई आशंका सर उठा रही है की सपा सरकार में गुंडे-माफिया फिर सक्रीय तो नहीं हो जायेंगे ,वही बसपा सरकार के आधे से अधिक मंत्रियो को लोकायुक्त द्वारा भ्रस्ताचारी सिद्ध किये जाने से बसपा के प्रति भी नागरिक अधिक आशान्वित नहीं है. प्रदेश के नागरिको की आशंकाओं के भंवर के बीच हो रहे मतदान से ही प्रदेश का भविष्य जनम लेने को आतुर है .

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