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चिकनी -चमेली की चर्चा “ देख लिया ना होली आते आते कैसे- कैसे ख्याल आने लगे है ,गुनगुनाने लगे है ,गाते गाते लोग चिल्लाने लगे है . गुनगुने-२ आचार विचार तन बदन और मन में कबूतरों के छोनो की तरह फुदक रहे है .इस होली में मात्र अपनी चमेली भौजी से काम नहीं चलेगा ,वो चिकनी भी होनी चाहिए.हमारे रसरंगी फ़िल्मी गीतकार -फनकार भी बोलीवुड की चिकनाहट की चिंता में निरंतर दुबले हुए जा रहे है .उनकी अद्भुत कल्पना और काव्य शक्ति,बल-सामर्थ्य के आगे बड़े बड़े पूर्व में हुए कालिदास भी शर्माने को बार बार विवश हो जाते है . धन्य है आपको आगे से पीछे से ऊपर और नीचे से बारम्बार नमस्कार है ,नमस्कार है .
दरअसल इसी चिकनी चमेली की थिरकती कमर के लटको-झटको से बाक्स ऑफिस फलता फूलता है और दर्शक खून पसीने की कमाई दोनों हाथों से लुटाते नज़र आते है . रही सही कसर चिकनी चमेली पौआ चडाकर पूरी कर देती है और फिर क्या चित्रपट पर नज़रे गडाए दर्शकों के होशोहवास ग़ुम..
हां यही कोशिश है सरकार ,सेंसर बोर्ड और वोलिवुड के कर्ता -धर्ताओं की ऐसे ,वैसे चाहे जैसे मनोरंजन से तरबतर होकर देश मदहोश हो जाए क्योंकि होशोहवास में रोटी -रोजी और कई बेहद जरुरी सवाल जीना मुहाल करते है , लो हो गया न रंग में भंग धत ….
आज की फिल्मों में आइटम डांस जैसा जुमला इस दशक के फ़िल्मी सफ़र की नयी उपलब्धि है ,आविष्कार है ,जिसके लिए पहले की फिल्मों में हेलन,पद्मा खन्ना जैसी तृतीय पंक्ति की नायिकाए तय थी,अब धुशुंग धुशुंग फिल्मों में नायिकायों की भूमिका मात्र दुकानों में मिर्च -नीबू लटकाए जाने वाले टोटके की तरह है ,तो नंबर १ की नायिकायो ने फिल्मों में अपनी आइटम डांस की भूमिका पर पूरा ध्यान देना शुरू किया है . भाई पापी पेट का सवाल है . अभी हाल में आई कई फ़िल्में तो आइटम डांस की वजह से ही चर्चा में आई है फिर चाहे मुन्नी,शीला या अपनी चिकनी चमेली–लगभग नग्न और उत्तेजक अदाओं,ठुमकों से लाखों-करोड़ों कमा रही है .
तो भैया इस बार होली में मुन्नी,शीला और चिकनी चमेली के गानों पर बदतमीजी करने को आप भी कमर कस लीजिये –बस जरा सम्हालकर ..खैर छोडिये पौये पर पौये गले से नीचे उतरेंगे तो आसपास के लोग सम्हाल ही लेंगे आप क्यों चिंता करते है …....होली मुबारक …आपको ,अपनी मुन्नी,शीला और चिकनी चमेली को भी .
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