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हमारी केंद्र सरकार गिर गिर कर सम्हल रही है,सम्हलते- सम्हलते गिर जाना चाहती है ,जैसे कोई टुन्न नशेबाज अपने अंग-प्रत्यंग पर नियंत्रण नहीं रख पाता ,इसी तरह कांग्रेस का अपने सहयोगी दलों पर कोई बस नहीं चल रहा है .ममता के बोझ तले बेचारी सरकार कभी इधर चलती है तो कभी उधर -एक कदम आगे और दो कदम पीछे करने को विवश है . उधर दुसरे सहयोगी डीएमके के इशारे पर तमिलों के दमन के मुद्दे पर विश्व मंच पर श्रीलंका की खिलाफत करने का भी सरकार ने बड़े बेमन से मन बना लिया है ,जहा तक सपा-बसपा का प्रश्न है, वे शायद सीबीआई से भागमभाग में अपना कन्धा केंद्र सरकार की अर्थी पर लगाने को बार बार उत्सुक हो रहे है , हथेली लगा भी रहे है .
बात देश की केंद्र सरकार की फजीहत की नहीं ,उत्तराखंड ,कर्नाटक में हर रोज नए नाटक हो रहे है ,विधायको के समर्थन-विरोध की आँधियों के बीच सत्ता का गडित गड़बड़ा रहा है . सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है की इन प्रदेशों की जनता कैसे रामभरोसे रहने को अभिशप्त है .
उत्तर प्रदेश में भारी बहुमत का बोझ सपा कैसे सम्हाल पा रही है ,इसे पूत के पाँव पालने में नजर आ रहे है की कहावत से समझा जा सकता है .बेचारे नेताजी बार- बार अपने कार्यकर्ताओं को समझा रहे है कि अपने बाहुबल को सहेज कर रखो,किन्तु कार्यकर्ताओं का दिल है की मानता ही नहीं वे शर्ट उतार कर सलमानखान हुए जा रहे है और हाथो में खुले असलहे,हथियार लिए सडको में घूम रहे है मेरा महबूब आया है की धुन पर खूब धूम धाड़ाका कर रहे है .प्रदेश की उम्मीद बन कर उभरे युवा मुख्यमंत्री मान० अखिलेश यादव जी के सपनो पर पलीता लगता दिखाई दे रहा है .
प्रदेश की जनता के मन में आशंकाओं के प्रेत फिर सर उठा रहे है –अभी तो ये अंगडाई है ….पूरे ५ साल बाकी है मेरे दोस्त ….
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