Menu
blogid : 1870 postid : 544

हम मतवाले हरे भरे [पर्यावरण पर नाटिका ]

aaina
aaina
  • 154 Posts
  • 173 Comments

[ पेड़ पोधे नाच रहे है ,गा रहे है ]
हम मतवाले हरे-भरे, वन बगिया में मनभावन है
छाया देते ,फल भी देते ,फूल हमारे आँगन है
भरी दोपहरी पथिक थका है ,छाया पाकर सो जाता है
रात चांदनी जुड़े में जो फूल सजाता साजन है
हम मतवाले …

साँसों में जीवन ही जीवन ,अमृत सा घुल जाता है
चिड़ियाओं का बने बसेरा, घटाएं भी है ,सावन है
हम मतवाले …

पेड़-१ ये चुप्प , लगता है कोई आ रहा है
पेड़-२ हो सकता है कोई जानवर हो, डरने की कोई बात नहीं
३- जानवर नहीं ,में आदमियों की बात कर रहा हु ..
२- क्या ? [डरकर] क्या कहा आदमी ….
१- नाम मत ले यार – रात के समय इसका नाम नहीं लेते …
२- हिंसक …जिनके समाज में प्रेम करना कोई नहीं जानता …
३- प्रेम ! अहं ,अभी पूजा के लिए फूल चुनने एक आदमी आया मेरी बड़ी हरी भरी डाली बेमतलब तोड़कर चला गया ..ओह ! अभी तक दर्द हो रहा है ..
[एक किशोर का प्रवेश ] नमस्कार मित्रो …
सारे पेड़ – नमस्कार …
किशोर – कैसे हो दोस्तों …
पेड़ १- अच्छा हु …आओ गले लग जाओ बहुत दिनों के बाद मिले हो ..में तो तरस गया था
पेड़ २- लगता है हम सबको भूल गए ….
किशोर – तुम सबको कैसे भूल सकता हु ..बचपन से ही में तुमसे प्रेम करता हु …और तुम सबने भी तो मुझे प्रेम किया है …इतना –इतना …
सब पेड़ – कितना …
किशोर – इतना ..इतना [दोनों हाथ फैलाता है ]

[सारे पेड़ किशोर को घेरकर नृत्य करते है ]
जिन्दगी है थोड़ी ,थोडा मुस्करा के चल , दिल्लगी कर जिंदगी से दिल लगा के चल
मौत है बेकाबू सबको मीत बना के चल ,गीत गा तू प्यार के और गुन -गुना के चल
सत्य है आँखों में ,आँखों में उठा के चल ,डर न तू किसी से,ना डरा के चल
सूर्य सबका लोगो को तू ये समझा के चल …..

[अचानक किशोर उदा
स होकर बैठ जाता है ]
पेड़ १- क्या बात है किशोर मेरे यार की तबियत उदास क्यों है ? बताओ ना ..
किशोर – तुमसे क्या मतलब ..तुम मेरी कोई मदद नही कर सकते …हां हूँ में
परेशान ..मनुष्य होकर जीना कितना मुश्किल है तुम क्या जानो ..
पेड़ २- मुझे बताओ ,देखो किशोर में तुम्हारी तरह इस समूचे अस्तित्व का हिस्सा हु
मेरे आकार -प्रकार अलग दिखाई पड़ सकता है ,,लेकिन हम पेड़-पोधे
भी देख सकते है ,सुन सकते है ,रोते है गाते है ,,जीते है ,मरते है …
पेड़-३ जरा सोचो ..जब तुम पहली बार यहाँ आये थे ,भूख से व्याकुल,गर्मी से तपते
हुए पसीने -पसीने ,थके हुए . मेरे आँचल में आकर तुम कितने आनंदित
हुए थे ..में भी तुम्हे देखकर खिल उठा था . मेने कुछ आम तुम्हारे पास गिरा दिए थे ..
किशोर – हां ..उस दिल मेने छक कर आम खाए थे . सच बहुत मीठे उसके बाद में
जब भी यहाँ आता तुम पके आम गिरा देते ..
पेड़ – जानते हो क्यों ?
सब पेड़ – हम सब तुम्हे प्यार करते है , हमारे फूल,फल.छाया सब तुम्हारे लिए ..
किशोर – हां ये सच है ,में तुम्हारे दिए फल-फूल बेचकर अपने रोजी-रोटी चला रहा हु ..\
लेकिन आज ….
[तभी कुत्ता आता है और पूंछ झाड़कर आम के पेड़ के नीचे बैठ जाता है ]
कुत्ता – में बहुत देर से सुन रहा हु ,,क्या कलेस है ..बताओ तो
किशोर -मुझे एक लड़की से प्रेम हो गया है …..
सब पेड़ – हो हो ..हां. हां. [हँसते है ] वाह बच्चे को प्यार हो गया है …तो क्या दिक्कत है ..
किशोर – मुझे अपने प्रेमिका को उपहार देना है , कल उसका जन्मदिन है …
पेड़ १- आजा मेरे रानी ले जा छल्ला निसानी ..[सब पेड़ हँसते है ]
कुत्ता – यानी अंगूठी ….
किशोर – हां ..सोने की अंगूठी ..कम से कम २ हजार की आएगी ,,समझ नहीं आता क्या करू ? कहा से लाऊं ….?
पेड़ .२- समस्या तो है ,,आओ हम सब सोचते है [सब सोचने का उपक्रम करते है ]
पेड़ ३- मिल गया समाधान …
सब पेड़ – क्या….
पेड़ ३- किशोर तुम मुझे काटकर लकडिया बेचकर अंगूठी खरीद सकते हो ..
किशोर – ये क्या कह रहे हो तुम ? में अपने हाथों से तुम्हे …
पेड़ ३- हां किशोर ..हमतुम साथ बड़े हुए है , हम साथी है में तुम्हारे काम आकर धन्य
हो जाऊँगा ..
किशोर -तुम मेरा जीवन हो मित्र ..सड़क के काले धुएं के बीच से तुम्हारे पास आकर
मेरी सांस महक जाती है मेरी सारी थकान,सारा दर्द तुम पी जाते हो ,तपती
दोपहरी में तुम सारे साथी शीतलता देते हो . खाने के लिए फल , और पूजा के
के लिए फूल देते हो ..सब कुछ हमारे लिए और हम कितने कृतघ्न ! मतलब-
बेमतलब तुम्हे काट रहे है ,,मिटा रहे है …
कुत्ता – पेड़ मिटा देंगे तो खुद भी मिट जायेंगे ..प्राण वायु कहा से आएगी ..?
पेड़ ३- सुना किशोर ..में वैसे भी बूडा हो गया हु ..अपने आप आंधी पानी में गिर
जाऊँगा ..मुझे निराश मत करो ,,तुमको अपने प्रेयसी के लिए अंगूठी खरीदनी
है . कल जब तुम उसे अंगूठी भेंट करोगे तो तुम मुस्कराओगे ,वो मुस्कराएगी
..तो में वाकई धन्य हो जाऊँगा ..सच , ये अवसर मुझसे मत छीनो ..
किशोर -लेकिन …
पेड़ ३- देखो तुम्हे मेरी सौगंध ..चलो उठाओ कुल्हाड़ी ..मेरे आनंद के लिए …
[किशोर कुल्हाड़ी उठाता है , कुत्ता पेड़ के नीचे से उठकर आगे बैठ जाता है ] ..आम का पेड़ कटकर गिरता है …
किशोर – सच ..इस लकड़ी का मूल्य तो हजार से भी कही अधिक होगा ..अंगूठी के बाद भी कुछ बचेंगे . बहुत अछे ..लेकिन पार्टी में क्या पैदल ही जाऊँगा …ये सामने वाला
पेड़ भी काट लिया जाए तो अच्छा रहेगा …
कुत्ता – अरे वाह – वाह ..देखो तो ..अंगूठी के चक्कर में आम काट दिया . अब आई इस
पेड़ की शामत ..चलो यहाँ से भी चलो ..आराम करने की भी जगह मिटाए दे रहे है ….
[किशोर दूसरा पेड़ काटने के लिए कुल्हाड़ी उठाता है ]
पेड़ २ – देखो में अभी छोटा हु ..मुझे मत काटो मुझे फलने दो , मुझे फूलने दो ….
[पेड़ चीखता रहता है , किशोर उसे काट देता है ..]
किशोर के अन्य साथी भी आते है सबके हाथो में कुल्हाड़िया है ..वे पेड़ काटने लगते है
साथी १ – ये अच्छा है …रोज रोज का धंदा ….अब सब मिलकर हर रोज ऐश करेंगे
…………………………………………………….
[किशोर बूडा हो गया है . थकाहारा ,गर्मी-धुप से व्यथित ,प्रदूषण के कारण खांसता हुआ ]

बूडा किशोर —दूर दूर तक पेड़ो की छाँव नहीं , ओफ ये खांसी मेरी जान ही ले लेगी शहर का ये धुंवा ये घुटन ..हे इश्वर ,,,,,कहा हो पेड़ ..छाया कहा है ..जीवन वायु कहा है …कहा हो मेरे मित्रो …? मेरी आवाज सुनो …[खांसते खांसते ] बचाओ …मुझे बचाओ …..
[दोनों हाथ आकाश की और उठाता है ][ हे देवताओं …मेरे अपराध छमा करो ..छाया दो ..फूल दो , फल दो ..प्राण वायु दो ……..

[किशोर एक पोधा लगाता है …किशोर के साथी पोधा लगा रहे है ….
[पुन सब पेड़ बड़े होते है …नाचते है …गाते है ….
हम मतवाले ..हरे भरे ……

…समाप्त ……..

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh