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इस महादेश के महामहिम रास्ट्रपति के चुनाव मे सियासी दलो की जो जोड़तोड़ ओर
कूटनीतियों भरा परिदृश्य उजागर हुआ है ,वह हैरान करने वाला है ओर निंदनीय भी है .
इस घटनाक्रम मे देश के सर्वोच पद की गरिमा ओर मर्यादा को आघात पहुँचता है .
यह प्रश्न विचारणीय है की क्या रास्ट्रपति पद राजनैतिक व्यक्ति के लिए आरछित होना
चाहिए अथवा सामाजिक- रास्ट्रीय सेवा के लब्ध-प्रतिष्ठित ,सर्वमान्य ही नही ,पूज्यता
स्तर के किसी व्यक्ति को इस पद हेतु नामित किया जाना उचित है . ?
वर्तमान राजनैतिक -कूटनीतिक व्यवस्था मे पला-बड़ा ,किसी दल विशेष की एकल
विचारधारा का व्यक्ति अनेकानेक जाती-धर्म-संस्कृतीयो वाले भारत वर्ष के रास्ट्रपति
पद की भूमिका मे कितना प्रभावी और निष्पछ हो सकेगा ,यह संदेहास्पद है . निश्चित
ही जो प्रकरण उसके सन्ग्यान मे लाए जाएँगे. उनके निष्पादन मे उसकी निष्ठा
सर्वप्रथम उस दल के प्रति होगी ,जिस दल ने उसे रास्ट्रपति पद हेतु नामित किया है .
अत अभी वक़्त है सभी राजनैतिक दलो को रास्ट्रपति पद के निर्वाचन मे इस गंभीर
तथ्य को ध्यान मे लेना चाहिए एवं दल विशेष से परे किसी गैर राजनैतिक ,लब्ध
प्रतिष्ठित ,सर्वमान्य एवं पूजनीय व्यक्ति को इस महान देश के रास्ट्रपति पद हेतु
नामित ओर निर्विरोध निर्वाचित किया जाना ही श्रेस्यकर है . इस पद के निर्वाचन मे
गंदी राजनीति नही होनी चाहिए ,इससे देश के महान पद की छीछालेदर होती है ओर
विश्व मे देश की स्थिति हास्यास्पद होती है .
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