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“कैग ” पर काँय -काँय !

aaina
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संसद ठप्प है ,पछ -विपछ की असहमतियों की मूसलाधार बारिश से मानसून सत्र -रैनी डे-होलीडे हो गया है , कैग पर काँय-काँय से संसद के गुम्बदों में कोलाहल है .         सम्वैधानिकी संस्था ” कैग ” ने १,८६ लाख करोड़ के राजस्व घोटाले का पर्दाफाश किया है , जिसके लिए तत्कालीन कोयला मंत्री और वर्तमान प्रधानमन्त्री जी उत्तरदायी है , जिसको जवाब देना है -वह मौन है . सत्ताधारी कह रहा है की संसद में बहस होगी , विपछ कह रहा है की पहले घोटाले के जिम्मेदार प्रधान मंत्री स्तीफा दे , बहस बाद में होगी . सत्ताधारी कह रहे है की ” कैग ” की रिपोर्ट प्रमाणिक नहीं है , यानी संवैधानिक संस्था की प्रमाणिकता पर प्रश्नचिन्ह ? विपछ कह रहा है की इस प्रकरण में सी-बी आई ने जांच शुरू कर दी है , इसलिए देश के सबसे बड़े घोटाले के प्रथम दृष्टया आरोपी को स्तीफा देना ही चाहिए . कुल मिलकर संसद ठप्प है , देश ठप्प है .
आम आदमी की समझ में सिर्फ इतना आ रहा है की कामनवेल्थ , २जी और अब कोयला घोटाले में कुल जमा ४०० लाख करोड़ की हेरा फेरी हुई है हर बार ज्यादा बड़ा घोटाला हुआ है . एक मामूली चोर को हजार- दो हजार की चोरी में थाणे में थर्ड डिग्री दिए जाने के साथ साल -दो साल की सजा हो जाती है और देश में मंत्रियो-नेता-अफसरों द्वारा नागरिकों के खून पसीने की कमाई के ४०० लाख करोड़ लूट लिए गए ..किसी की जवाबदेही नहीं , क्योंकि ” कैग ” की रिपोर्ट गलत है . कामन वेल्थ और २ जी स्पेक्ट्रम घोटालों के वक्त भी यही अलाप था की ” हानि शून्य ” है . फिर न्यालालायो की फटकार के बाद कई प्रभावी मंत्री-नेता -अफसर तिहाड़ पहुंचे और अब जमानत पर फिर काम पर है .
सरकारी नोकरी में हजार- १० हजार के गबन-घोटाले के आरोप लगते ही पहिले निलंबन के नियम है , ये नियम नेता -मंत्रियो पर क्यों लागू नहीं होते ? संभवत वे विशेषाधिकार प्राप्त है अथवा देश के क़ानून -नियम सिर्फ और सिर्फ आम नागरिको के लिए है . ख़ास लोगो के लिए कोई गुप्त संविधान है जिसकी किताब उन्ही के पास है .
यदि ” कैग ” संवैधानिक संस्था की रिपोर्ट प्रमाणिक नहीं है , गलत है तो इस संस्था की जरुरत क्या है ,जो देश की प्रधानमन्त्री को भी संदेह के कटघरे में खड़ा करती है और देश में अराजकता उत्पन्न कर रही है , तत्काल प्रभाव से इस संस्था को भंग करना चाहिए और इसके प्रमुख को इस जुर्म के लिए जेल में डाल देना चाहिए .
पछ का तर्क है की राज्यों के मुख्य मंत्रियो की सिफारिश पर ” पहिले आओ पहिले पाओ ” की नीति अपनाई गयी और कोयला सचिव की आपत्तियों को दरकिनार कर नीलामी की पारदर्शिता नहीं अपनाई गयी तो देश की जनता की सिफारिश है की कामनवेल्थ ,२ जी और कोयला घोटाले की कुल जमा रकम लगभग ४०० लाख करोड़ की हानि की भरपाई उत्तरदायी नेता -मंत्री -अफसर और बेजा फायदा लेने वाली कम्पनियों की संपत्ति जब्त कर होनी चाहिए . इस सिफारिश पर भी अमल होना चाहिए , ताकि भावी सरकार के मंत्रियो-नेता और अफसरों और कम्पनियों को सबक मिल सके .

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