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रामलीला में ऍफ़. डी.आई. !

aaina
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रामलीला में युवराज दहाड़ रहे है – हिन्दुस्तान को खड़ा करना है , हम खड़ा करना चाहते है , विरोधी टंगड़ी मार रहे है . सिस्टम खराब है . आम आदमी के लिए रास्ता नहीं है , कही रास्ता नहीं है . राजनेतिक दलों में जगह नहीं है , दफ्तरों में आम आदमी की कोई नहीं सुनता . हम आर० टी ०आइ 0 लाये, कम्पूटर लाये , एफ़० डी०आइ० लाना चाहते है . हिन्दुस्तान खड़ा होगा , आम आदमी को रास्ता मिलेगा , युवाओं को आगे लाना है . पिछले ८ सालों में हमने देश को समझा है , किसानो-मजदूरों को देखा है , थोड़ी-बहुत राजनीति सीखी है .
सीन न०२–देश के सर्व शक्तिमान- प्रभुत्व संपन्न नेता जी कमजोर और लगभग कराहते हुए कह रहे है -विश्व की अर्थ व्यवस्था कमजोर हुई है , अपने देश में भी असर पड़ा है , ८० प्रतिशत तेल आयात करना होता है इसीलिए महगाई बड़ी है . देश में एफ़०डी ०आइ ० से देश में खुशहाली आएगी , रोजगार बढेगा , किसानो-उपभोगताओं को फाईदा मिलेगा .
सीन नो ३- देश में भ्रस्टाचार केंसर की तरह फ़ैल रहा है ,हमें इसे मिटाना है , विरोधी हमको कमजोर कर रहे है , हमें पता है देश में महगाई बड़ी है हम जनता की मुश्किल समझते है , एफ़० डी ०आइ ० देश की जरुरत है .
रामलीला मैदान हजारों- हजारों देशवासियों की तालियों से गूज रहा है . मंच पर विराजमान नेतागण आश्चर्य भाव से पुलकित होकर हर्षित हो रहे है . अपने बड़े बड़े नेता-मंत्रिओं पर भ्रस्टाचार -घोटालों के ताबड़तोड़ हमलों से त्रस्त नेताओ के चेहरे अरसे बाद चमक-दमक रहे है . संसद में ना तो कोई ऐसे मुद्दों पर बोलता है , ना कोई सुनता है ,ना ही ताली बजाता है , फिर संसद चलती ही कितने दिन है . भले ही नेतागण भ्रस्टाचार विरोधी आन्दोलन के नेताओं से कहते रहे है की संसद में चुनकर आओ फिर बात करो , लेकिन चुने हुए सत्ता और विपछ के मान्यवर आजकल अपनी बात कहने के लिए मैदानों और जंतर मंतर की जुगाड़ कर रहे है या टी वी चेनलों पर सम – सामयिक मुद्दों पर बहस- मुबाहिसों में अस्त-व्यस्त होकर परस्पर उलझ रहे है- बकबका रहे है ..
हिन्दुस्तान आजादी के ६ दशक बाद भी अपने पेरों पर खड़ा नहीं है , आम आदमी को देश में भारी मुश्किल है , भ्रस्टाचार का केंसर है ,महगाई है तो इसके लिए लगभग ५ दशक शासन करने वाली पार्टी ने इन सभी समस्याओं का एकमात्र समाधान खोज लिया है -एफ़०डी ०आइ ०.
एफ़०डी ०आइ ० देश की जरुरत है- ,देश और कांग्रेस , कांग्रेस और देश पर्याय है .

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