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लाज बचाओ ” हे कृष्णा हे कृष्णा ” !

aaina
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सामूहिक दुष्कर्म पीड़ित युवती आखिर मर ही गयी..12 दिन मौत से जूझती रही मासूम ज़िंदगी हार गयी . जन्‍तर-मन्‍तर , रामलीला मैदान , इंडिया गेट ओर देश भर मे नागरिकों के धरना -प्रदर्शन , वहशी दरिंदे बलात्कारियों को फांसी दिये जाने की मांग के ओचित्य पर सरकार , सांसद , विधायको के उलजुलूल वक्तव्य सभ्य समाज , लोकतंत्र मे मरती नेतिकता , संवेदनशीलता को उजागर करने के लिये पर्याप्त है . बलात्कार के लाख -सवा लाख मुकदमे बरसों से न्यायालयों की दहलीज पर न्याय की भीख मांग रहे है . बलात्कार के दोषी दर्जनो विधायक ]सांसद संसद ओर विधान सभाओं मे ससम्मान मौज कर रहे है . रोज दर रोज बलात्कार की घटनाएं देश की गरिमा को तार-तार कर रही है ओर अब भी थमने का नाम नही ले रही है . पुलिस प्रशासन राजनेतिक , सामाजिक ओर लोभ लालच के दबावों मे ऐसे दुर्दांत प्रकरणों पर धूल डालने का ही काम कर रहा है , करता रहा है .

महाभारत काल से आज तक द्रोपदी का चीर हरण अनवरत जारी है , किन्तु राजनेतिक ओर सामाजिक पृष्ठभूमि से कोई कृष्ण देश की नारियो की लाज बचाने को तत्पर दिखाई नही दे रहा है . समाज घोर अधर्म के पथ पर अग्रसर है . समाज मे अराजकता , असुरच्छा ओर भय का वातावरण है . संभवत मध्यकाल मे बालिका उत्पन्न होने पर उसे ज़िन्दा ही दफ़ना देने की परंपरा का यही कारण रहा होगा ..इतिहास मे भी अपनी लाज बचाने के लिये ओरतो के आग मे कूद कर मृत्यु आलिंगगन के अनेकों के उदाहरण है , तो क्या 21वी सदी मे भी भारत जैसे आध्यात्मिक देश मे नारियों के साथ यही व्यवहार किया जाना चाहिये ? आज लाखों -करोड़ों युवतिया पड लिखकर रोजी रोजगार मे अपनी भूमिका निर्वाह कर रही है देश के उत्थान मे सहभागी है . किन्तु सड़क पर बेखौफ घूमते लफंगे , बलात्कारियों , दरिंदों के देश मे माता पिता अपनी संतानो के लिये भयग्रस्त है उनके मन बालिकाओ की सुरच्छा के प्रति आशंकित है , तो यह स्वाभाविक ही है .

क्या नारी मात्र उपभोग , विलासिता का साधन मात्र है ? पुरुष प्रधान समाज मे नारी सर्वदा उपेछित क्यों है ? घर- परिवार समाज मे बालिकाओं को बालकों के समान प्यार दुलार, अधिकार प्राप्त क्यों नही है ? जबकि श्रेष्‍ठता की कसोटी पर भारत ही नही अपितु विश्व मे स्त्रियों ने अभूतपूर्व कीर्तिमान स्थापित किये है .

सामूहिक दुष्कर्म पीड़ित युवती की दर्दनाक मृत्यु देश के हम सब नागरिकों के लिये आत्म मंथन के पल है . आज परिवार -समाज मे व्याप्त लिंग भेद -भाव के विरुद्ध समवेत संकल्प का दिन है . देश मे नारी स्वाभिमान सुरच्छा के लिये तत्काल नियम कानून बनाने ही होंगे ओर बलात्कार के मुकदमों की त्वरित सुनवाई ओर निर्णय की समयसीमा निर्धारित करनी होगी . साथ ही पुलिस- प्रशासन मे स्त्रियों की अधिकाधिक भागीदारी के प्राविधान ही तात्कालिक समाधान है . ताकि देश मे नारी स्वाभिमान -सम्मान ओर सुरच्छा सुनिश्चित हो सके .यही देश की इस बहादुर बेटी को सच्ची श्रृद्धांजलि होगी .. यह कुर्बानी व्यर्थ नहीं जाने देंगे और नारी स्वाभिमान दिवस मनाकर हमेशा हमेशा याद रखेंगे.

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