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इस ब्लॉग के शीर्षक चयन मे मुझे बड़े- बड़े कपाल भारती टाइप आसन-शीर्सआसन करने पड़े . एक शीर्षक समझ मे आया ” लोकसभा मे जूतमपैजार ” लेकिन सर्वोच ससद की मर्यादा का ख्याल आ गया . स्मरण आया कभी चंद्र शेखर जी,अटल जी, आडवाणी जी जैसे प्रखर वक्ताओ की दार्शनिक ओर उत्क्रिस्ट भाषन शैली की गवाह बनी थी हमारी संसद .किन्तु आज 13 फरवरी को देश मे मोजूद अमेरिकी राजनयिक ओर संसद की दर्शक दीर्घा मे उपस्थित बागला देश के राजनयिको के सामने हमारे माननिय सांसदों के चवन्नी छाप,हुडदंग ओर हद दर्जे की अराजक आचरण से देश का सिर् शर्म से झुका दिया. तेलगाना बिल पर सहमत ओर असहमत सांसदों ने सभ्यता-संस्कृति की खूब धज्जियाँ उड़ाई .
भले ही देश के विभिन्न राजनीतिक दल इस काण्ड पर एकदूसरे पर आरोप लगाये ,आज संसद मे अराजक दृश्य की चर्चा हर गली -चोराहे पर हो रही है ओर नागरिक राजनेताओं को कोस रहे है …नागरिकों को याद नही आता बीते दशक मे संसद की कार्यवाही मे आम नागरिको की समस्याओ पर गंभीर ओर शालीन चर्चा हुई हो …वाह री हमारी ससद !
13 फरवरी का अशुभ साया आज दिल्ली की विधान सभा पर भी पड़ा . काजल की कोठरी मे फंसे केजरीवाल के जन लोकपाल बिल पर कांग्रेस ओर भा ज पा के माननीय विधायको ने जम कर हुडदंग-उतपात मचाया . ….
क्या हो गया है हमारे देश को ?राजनीति पगला गयी है ऐसा लगता है संसद ओर विधान सभाओं पर बाहुबलियो का प्रभाव बडता जा रहा है .जैसे- जैसे लोकसभा चुनाव की घड़ी निकट आती जा रही है राजनीति मे बेशर्म नंगानाच बडता जा रहा है .
” कैसे मंजर सामने आने लगे है ,गाते-गाते लोग चिल्लाने लगे है “
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