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दिल्ली विधानसभा चुनाव में अप्रत्याशित विजय के उपरान्त आम आदमी पार्टी में नाम,पद और महत्त्व की लालसावश घमासान मचा हुआ है। एक और राष्ट्रीय ख्यातिनामा पत्रकार योगेन्द्र यादव और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता शांतिभूषण और उनका परिवार है तो दूसरी और अरविन्द केजरीवाल गुट के मनीष,संजय,कुमार विश्वास,आशीष खेतान सरीखे अन्ना आंदोलन के सिपाही है। वही आशुतोष भी अरविन्द केजरीवाल के चमत्कारी नेतृत्व के गुण गाते दिखाई दे रहे है।
दृश्य और प्रिंट मीडिआ में आयेदिन परस्पर कीचड फेंकने की होड़ मची हुई है। जिससे दिल्ली के मतदाता ही नहीं आप पार्टी के अभ्युदय में देश का भविष्य देखने वाले लाखों-करोड़ों आप पार्टी से जुड़े कार्यकर्ता और प्रशंसक हतप्रभ है ,दुखी है। लगता है हमेशा की तरह इस बार भी छले गए है।
अभी दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुए जुमा-जुमा २ दिन ही हुए है कि अतिशय विनम्र और आदर्श-नैतिकता के बोलवचन बखारने वाले आप पार्टी के थिंक टेंक कहे जाने वाले कई नेताओ का भद्दा चेहरा उजागर हो गया है1
देश की राजनीति-शासन-प्रशासन बदलने की बड़ी- बड़ी बांते करने वाले आप पार्टी के कई क्रांतिकारी सत्ता प्राप्त होते ही दुसरे कुटिल राजनेताओं की राह पकड़ लेंगे, इसका पूर्वानुमान किसी को नहीं था।
इस दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम की पटकथा लिखने वाले लालची,धूर्त -मक्कार आम आदमी पार्टी के नेताओ को धिक्कार है।
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