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बिन “आधार” बेरन भई कुंजे !

aaina
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कहाँ है आधार ?
ऐ चाचा रुक ले , कहा मुंह उठाये जा रिया है ,निकाल आधार कार्ड —
–जी जी। .
–अबे जी जी को क्यों कस्ट दे रिया है. जल्दी दिखा फालतू का टेम खोटी मत कर ।
_दीवान जी आधार कार्ड जल्दी में घर ही भूल आया –
_अच्छा। ऎ दीवान जी , चालान काटो चचा का। फटा फट.. बिना नंबर के अच्छे दिनों का मजा ले रिया है –
_माफ़ कर दो दीवान जी _
_अबे दरोगा जी को दीवान जी कह रिया है _मिनट २ में हवाई जहाज बना दूंगा _
_अच्छा दीवान डबल चालान काटो साले चचा का _
-दरोगा जी माई बाप रहम करो –
–अबे चच्चा हम भी तो माई बाप का ही काम कर रहे है –अबे दीवान चच्चा पर रहम कर ले जा कोने में -फटाफट __________________________________________

जनाब मुस्कराने की जरुरत नहीं है। ज़िस तेजी से आधार कार्ड रोजमर्रा जिंदगी में शर्त बनता जा रहा है। आ ने वाले अच्छे दिनों में सड़क ,गली चौराहो पर यह दृश्य देखने को मिल सकते है ,जिसकी लिए तैयार हो जाइए। आधार कार्ड का यह हाल है की लेखक ने काफी जद्दोजहद के बाद आधार कार्ड के लिए 4-५ महीने पहले पंजीकरण कराया था ,अभी तक आधार कार्ड के लिए तरस रहा हु पंजीकरण की रसीद भी मिली नहीं ,तो शासन की सुविधा के बाद भी डॉउनलोड नहीं कर सका हु और इधर बैंक वाले ,गैस वाले ने आधार कार्ड के चक्कर में घन चक्कर बना रखा है ,जी मेल पर आधार कार्ड वालो की चिरौरी कर रहा हु …दुआ कीजिये सब मिलके। किसी तरह नंबर मिल जाये और हम हो जाए नम्बरदार …

दिल में ख़याल आ रिया है की पढेलिखे लोगो का आलम यह है तो आम आदमी का तो हो गया बंटाधार_ आधार नंबर के चक्कर में दर _ दर की ठोकरे खाता रहेगा , ले ले बेटा गैस पे सब्सिडी _ठेंगा !

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